बाड़मेर के स्टेशन रोड स्थित श्री मल्लीनाथ शैक्षिक संस्थान का वार्षिकोत्सव एवं प्रतिभा सम्मान समारोह 23 फरवरी को आयोजित हुआ। समारोह को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि कर्नल बीएस रावत (डिप्टी कमांडर, जालीपा मिलिट्री स्टेशन) ने कहा कि युवा अपनी योग्यता एवं प्रतिभा के बल पर आगे बढ़ें एवं अपने लक्ष्य को प्राप्त करें। आपके सामने पूरा आसमान खुला है, इसलिए बड़े से बड़ा लक्ष्य चुनें और उसे प्राप्त करने में जुट जाएं। विद्यार्थी जीवन सीखने का काल होता है, इसका यदि आपने सदुपयोग कर लिया तो जीवन में आप ऊंचाइयों तक पहुंच सकेंगे। उन्होंने कहा कि आपके शिक्षक, आपके अभिभावक आपको सहयोग व मार्गदर्शन दे सकते हैं परंतु मेहनत आपको ही करनी होगी। आपके भविष्य को संवारना आपके अपने ही हाथों में है। विशिष्ट अतिथि दिलीप कुमार सिंह (महाप्रबंधक, एसडब्ल्यूएमएल) ने कहा कि जीवन में संघर्ष का आना स्वाभाविक है। इन संघर्षों से विचलित हुए बिना अपने पथ पर अडिग रहने वाले ही सभी के लिए प्रेरणास्रोत बनते हैं। उन्होंने कहा कि केवल सरकारी नौकरी प्राप्त करना ही अच्छे भविष्य के निर्माण का एकमात्र तरीका नहीं है बल्कि अन्य क्षेत्रों में भी आप अपने परिश्रम के बल पर सफलता प्राप्त कर सकते हैं। समारोह के अध्यक्ष श्रवण सिंह राजावत (यूआईटी सचिव) ने कहा कि अनुशासन और संकल्प शक्ति ही अध्ययन में सफलता की कुंजी है। नियमितता और आत्मविश्वास के गुण जिसके भीतर हैं उसे जीवन के किसी भी पड़ाव पर असफलता का सामना नहीं करना पड़ता। उन्होंने कहा कि आपके माता-पिता की आशाएं आप पर टिकी हैं, उन आशाओं को पूरा करने के लिए ईमानदारी पूर्वक अध्ययन करें एवं अपने समय को व्यर्थ नहीं गंवाएं। संस्थान के अध्यक्ष रावत त्रिभुवन सिंह ने कहा कि विद्यार्थियों को अपने परिवार व समाज से सदैव जुड़े रहना चाहिए। अपनी जड़ों से दूर होने वाला जीवन में चाहे कितनी भी सफलता प्राप्त कर ले, वह सफलता निरर्थक ही सिद्ध होती है। संस्थान के मंत्री कमल सिंह चूली ने छात्रावास के प्रारंभ से लेकर अभी तक की यात्रा एवं इस दौरान आई विभिन्न चुनौतियों के बारे में अपने अनुभव साझा किए एवं सभी अतिथियों का स्वागत किया। छात्रावास के व्यवस्थापक महिपाल सिंह चूली ने संस्थान का वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। समारोह के दौरान प्रतिभावान विद्यार्थियों एवं संस्थान को सहयोग करने वाले भामाशाहों को सम्मानित भी किया गया। मंच संचालन कान सिंह खारा, यशपाल सिंह वरिया व खेत सिंह आसाड़ी ने किया।