25 जनवरी को श्री क्षत्रिय युवक संघ के संस्थापक पूज्य श्री तनसिंह जी की 101वीं जयंती के अवसर पर बाड़मेर में गेहूं रोड स्थित आलोक आश्रम में पूज्य श्री तनसिंह जी के नवनिर्मित स्मारक का लोकार्पण एवं प्रतिमा का अनावरण समारोह पूर्वक किया गया। माननीय संरक्षक श्री भगवान सिंह जी रोलसाहबसर की इच्छा थी कि संघ के आदर्श शिविर स्थल के रूप में विकसित हो रहे आलोक आश्रम में पूज्य तनसिंह जी का स्मारक भी होना चाहिए जिससे यहां आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को प्रेरणा प्राप्त हो। उनके इच्छा को आज्ञा समझ कर बाड़मेर के स्थानीय स्वयंसेवकों द्वारा कार्य प्रारंभ किया गया एवं पूज्य श्री की 101वीं जयंती पर स्मारक के अनावरण का निश्चय किया गया। स्मारक निर्माण में कुछ कठिनाइयों के चलते विलंब की संभावना होने पर संरक्षक श्री स्वयं बाड़मेर पहुंचे एवं अपनी देखरेख में समय पर कार्य संपन्न करवाया। भारतीय ग्राम्य आलोकायन ट्रस्ट के तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम में देश भर से हजारों समाजबंधु मातृशक्ति सहित शामिल हुए और पूज्य तनसिंह जी के प्रति अपनी श्रद्धा व कृतज्ञता प्रकट की। यज्ञ के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ जिसके बाद माननीय संरक्षक श्री भगवान सिंह रोलसाहबसर ने पूज्य तनसिंह जी की आदमकद प्रतिमा का अनावरण किया। इस अवसर पर माननीय संघप्रमुख श्री लक्ष्मण सिंह बैण्याकाबास, वरिष्ठ स्वयंसेवक महावीर सिंह जी सरवड़ी, पूज्य तनसिंह जी के पुत्र पृथ्वी सिंह रामदेरिया व पुत्रियां बालू कंवर व जागृति कंवर उपस्थित रहे। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए माननीय संरक्षक श्री भगवान सिंह जी ने कहा कि आज का युग असंतोष का युग है। हर व्यक्ति दौड़ रहा है बिना यह जाने कि उसे कहां जाना है। आप इस दौड़ में न लगकर अपने भीतर जाने का प्रयास करें क्योंकि वहीं पर परमात्मा का निवास है। अपने हृदय में स्थित उस परमात्मा की शरण में जाने पर ही हमारा कल्याण हो सकता है इसके अतिरिक्त सुख का और कोई मार्ग नहीं है। संघप्रमुख श्री लक्ष्मण सिंह बैण्याकाबास ने कहा कि पूज्य तनसिंह जी की महिमा और दिव्यता को यदि हमें देखना है तो श्री क्षत्रिय युवक संघ के साक्षात रूप में हम देख सकते हैं। संघ के रूप में पूज्य तनसिंह जी ने वह मार्ग हमें दिया है जिस पर चलकर हम भी उन्हीं की भांति महापुरुष बन सकते हैं। वरिष्ठ स्वयंसेवक महावीर सिंह जी सरवड़ी ने पूज्य श्री तनसिंह जी द्वारा संघ की स्थापना का इतिहास बताते हुए कहा कि तनसिंह जी आज भी हमारे हृदय में विराजमान हैं और हमारा मार्गदर्शन कर रहे हैं। हमारी जितनी उनके प्रति श्रद्धा होगी उतना ही उनका मार्गदर्शन हमें मिलता रहेगा। जागृति कंवर हरदासकाबास ने बालिकाओं में संस्कार निर्माण की आवश्यकता के बारे में बताया। पोकरण विधायक महंत प्रताप पुरी ने अपने आपको पहचान कर अपने कर्तव्य का बोध करने व उसका पालन करने का निवेदन किया।
कार्यक्रम में बाड़मेर विधायक डॉ प्रियंका चौधरी, शिव विधायक रविंद्र सिंह भाटी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के धर्म जागरण प्रमुख सत्यम, भाजपा नेता स्वरूप सिंह खारा, कांग्रेस नेता आजाद सिंह शिवकर, राजेंद्र सिंह भिंयाड, खुमाण सिंह सोढ़ा, जैसलमेर कांग्रेस अध्यक्ष जसवंत सिंह भाटी, रिडमल सिंह दांता, रतन सिंह बाखासर, कैप्टन हीर सिंह भाटी, स्वरूप सिंह चाडी, कमल सिंह चूली सहित अनेकों गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। कार्यक्रम में शामिल होने के लिए बाड़मेर जैसलमेर के अनेकों गांवों के साथ ही राजस्थान के जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, चित्तौड़गढ़, बीकानेर, जालौर, पाली, सिरोही, नागौर, सीकर आदि जिलों से बस एवं अन्य वाहनों द्वारा स्वयंसेवक व समाजबंधु सपरिवार पहुंचे। गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश आदि राज्यों से भी समाजबंधु कार्यक्रम में शामिल हुए। राजपूत समाज के साथ ही अन्य सहयोगी समाजों के अनेक व्यक्ति भी कार्यक्रम में शामिल हुए एवं पूज्य श्री तनसिंह जी को श्रद्धांजलि दी। समारोह के अंत में शक्ति पूजा का कार्यक्रम भी रखा गया जिसमें सभी उपस्थित जनों ने पूज्य तनसिंह जी की प्रतिमा को नमन करने के पश्चात केसरिया ध्वज के सामने पुष्पांजलि अर्पित करते हुए अपनी ओर से श्रद्धानुसार आर्थिक सहयोग भी भेंट किया। बाड़मेर विधायक प्रियंका चौधरी ने तनसिंह जन कल्याण संस्थान में विभिन्न विकास कार्यों के लिए विधायक कोष से 20 लाख रुपए देने की घोषणा भी की। बाड़मेर में हुए मुख्य कार्यक्रम के अतिरिक्त भी अनेक स्थानों पर 25 व 26 जनवरी को पूज्य तनसिंह जी की जयंती मनाई गई। पाली स्थित वीर दुर्गादास राजपूत छात्रावास में जयंती कार्यक्रम आयोजित हुआ जिसमें छात्रावास अधीक्षक जवान सिंह ने तनसिंह जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला। कुचामन स्थित श्री हनुवंत राजपूत छात्रावास में भी जयंती मनाई गई जिसमें छात्रावास के सभी युवा उपस्थित रहे व पूज्य श्री को श्रद्धांजलि अर्पित की। नागौर मे श्री अमर राजपूत छात्रावास में भी कार्यक्रम हुआ। दुर्गा माता मंदिर, राजस्थान राजपूत समाज पुणे में भी पूज्य श्री की 101वीं जयंती मनाई गई। पुणे के पिंपरी चिंचवड में रावल मल्लीनाथ शाखा द्वारा भी जयंती मनाई गई। मुंबई में गिरगांव चौपाटी और तुर्भे में जयंती मनाई गई। दक्षिण भारत प्रांत के बेंगलुरु मंडल द्वारा राजपूत समाज भवन राणासिंहपेट में जयंती कार्यक्रम आयोजित किया गया। देवेंद्र सिंह भिवालिया ने पूज्य श्री का परिचय दिया। विजय प्रताप सिंह रायरा ने श्री क्षत्रिय युवक संघ के बारे में बताया। स्वरूप सिंह बावरला ने स्वरचित आलेख 'तन के मन की व्यथा' का पठन किया। वीरेंद्र सिंह पादरू ने कार्यक्रम का संचालन किया। हैदराबाद में स्थित संजीवैया पार्क में भी पूज्य श्री की 101वीं जयंती मनाई गई। सुलताना स्थित श्री करणी माता मंदिर परिसर में भी कार्यक्रम आयोजित हुआ जिसमें गजेंद्र सिंह टिकाई ने तनसिंह जी का परिचय दिया। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भी क्षत्रिय छात्र संघ लखनऊ के तत्वावधान में पूज्य श्री की जयंती मनाई गई। कार्यक्रम में भारत को स्वतंत्र एवं गणतंत्र राष्ट्र बनाने राष्ट्र बनाने में क्षत्रिय समाज का योगदान, समाज के प्रेरणास्रोत पूज्य तनसिंह जी का जीवन परिचय, उत्तर प्रदेश राज्य में ईडब्ल्यूएस आरक्षण सरलीकरण की मांग, लखनऊ में अवध केसरी राणा बेनी माधव सिंह राजपूत छात्रावास की मांग, राजपूत इतिहास के विकृतिकरण पर चिंतन एवं सामाजिक सद्भावना विकसित करने आदि विषयों पर चर्चा की गयी। सूरतगढ़ स्थित करणी माता मंदिर परिसर में भी जयंती कार्यक्रम का आयोजन हुआ। मेजर हरि सिंह ओला ने तनसिंह जी के साथ के संस्मरण सुनाए। खुमान सिंह गोकुल, श्रेणी दान चारण आदि ने भी अपने विचार रखे। रविंद्र सिंह झिनझिनयाली व महेंद्र सिंह रेणुवा ने पूज्य श्री का परिचय दिया। कान सिंह अर्जुना ने कार्यक्रम के संचालन किया।